“Darawni Bhoot ki kahani | रहस्यमयी हवेली का भूत”
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एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव में, जहां राधा, मोहन, आर्यन और सानवी नाम के चार दोस्त रहते थे। उनकी दोस्ती इतनी गहरी थी कि वे हर जगह साथ जाते थे और हर नई चीज की खोज करने में दिलचस्पी रखते थे।
गाँव के एक किनारे पर एक पुरानी हवेली थी। लोग कहानियाँ सुनाते थे कि यह हवेली भूतिया है और वहाँ भूत का बसेरा है। किसी ने भी कभी हिम्मत नहीं की कि वह हवेली में जाए। लेकिन चारों दोस्तों में उत्सुकता थी, और उन्होंने एक दिन तय किया कि वे हवेली के रहस्य का पता लगाएंगे।
रात का आठ बजा था। चाँद की रोशनी धुंधली थी, और हवेली के चारों ओर की झाड़ियाँ डरावनी छाया बना रही थीं। चारों दोस्तों ने टॉर्च और कुछ लकड़ियाँ साथ ले लीं और डरते-डरते हवेली की ओर बढ़े। अंदर पहुँचते ही उन्हें ठंडी हवा का झोंका महसूस हुआ। गेट खड़खड़ाया और अपनी जगह पर खुला हुआ मिला।
पहला मिनट: जैसे ही वे अंदर प्रवेश किए, उन्होंने देखा कि हवेली के दीवारों पर लगे चित्र डरावने थे। एका-एक उन्होंने सीढ़ियों से किसी की फुसफुसाहट सुनी। राधा ने हिम्मत जुटाकर कहा, “शायद यह हमारी कल्पना है।”
दूसरा मिनट: वे धीमे-धीमे कदम बढ़ाते हुए दूसरी मंजिल पर पहुँचे। वहाँ उन्होंने देखा कि एक पुराना पियानो था, जो अपने आप बज रहा था। सानवी ने कहा, “यहां कुछ न कुछ तो गड़बड़ है।”

तीसरा मिनट: पियानो का संगीत खत्म होते ही उन्हें एक बूढ़े आदमी की छाया दिखी। वह छाया करती हुई बोली, “मेरे पीछे आओ।” चारों दोस्त और भी डरते हुए उसके पीछे-पीछे चले गए।
चौथा मिनट: छाया उन्हें एक कमरे में ले गई, जहां दीवारों पर पुरानी घड़ियाँ टिकी हुई थीं। घड़ियों के काँटे उल्टी दिशाओं में घूम रहे थे। मोहन ने कहा, “यह सब क्या हो रहा है? कोई तो वजह होगी।”
पाँचवां मिनट: अचानक एक घड़ी की टन-टन आवाज सुनाई दी और कमरे के कोने से एक दरवाजा खुला। अंदर एक लालटेन जल रही थी। दरवाजे के अंदर कदम रखते ही उन्हें एक तान आवाज सुनाई दी, “तुम यहाँ नहीं आ सकते!”
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छठा मिनट: अब चारों दोस्तों का दिल जोर से धड़कने लगा। आर्यन ने हिम्मत करके उस लालटेन को उठाया और रोशनी को चारों ओर घुमाया। एक पुरानी और टूटी हुई किताब उनके सामने गिरी।
सातवां मिनट: जैसे ही उन्होंने किताब खोली, उसमें से एक लिखा पढ़ा: “यहां जो भी आया है, उसने अपनी जान गवाई है।” चारों दोस्तों ने किताब को बंद किया और प्लान बनाया कि अब उन्हें यहाँ से भागना चाहिए।
आठवां मिनट: लेकिन जब उन्होंने दरवाजे की ओर भागने की कोशिश की, तो दरवाजा अपने आप बंद हो गया। अब वे फँस चुके थे। वे घबराकर चिल्लाने लगे।
नौवां मिनट: तभी कमरे के अंधकार में एक चेहरा प्रकट हुआ, जो हूबहू पुराने मालिक का था। वह चेहरा बोला, “तुम्हारे जाने का समय आ गया है।”

दसवां मिनट: जैसे ही वो चेहरा गायब हुआ, कमरे में रोशनी फैल गई और दरवाजा खुल गया। चारों दोस्त जल्दी से बाहर भागे और हवेली से दूर हो गए।
अगले दिन, गाँव के लोगों ने सुना कि चार दोस्तों ने हवेली के भूत का सामना किया और सही-सलामत निकल आए। उन्होंने सोचा कि शायद भूत केवल उन्हें चेतावनी देने आया था।
चारों दोस्तों ने एक समझदारी सीखी, “हर जगह की अपनी कहानी होती है, और हर कहानी के पीछे कुछ रहस्य होतें हैं जिन्हें जानने से पहले सोचना चाहिए।”
और इस तरह, रहस्यमयी हवेली का भूत, हमेशा के लिए उनकी यादों में एक रहस्य ही बना रहा।
कहानियों की अजीब बात : भूली बिसरी हवेली का रहस्य
हर रहस्य को जानने से पहले उसमें छुपे खतरों को भी समझना चाहिए।
दोस्तों, Darawni Bhoot ki kahani | रहस्यमयी हवेली का भूत की इस रहस्यमयी यात्रा आपको कैसी लगी? अगर आप भी ऐसी रोमांचक कहानियाँ पढ़ना चाहते हैं, तो हमारे साथ जुड़े रहिए। यहां हर रोज आपको नई-नई और मजेदार कहानियाँ मिलेंगी। अनगिनत जादुई कहानियों का आनंद लें!
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