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Hindi Kavita For Kids | बचपन की रंगीन दुनिया
बचपन की रंगीन दुनिया, सपनों की हरियाली, आंगन में खेलते बच्चे, जैसे तितलियाँ प्यारी प्यारी। चाहतों के मीठे मोती, हंसते चेहरे खिले खिले, जैसे फूलों की बगिया में, खुशबू बसी मस्तानी।
नीले आसमान के नीचे, उड़ते पतंगें नील, मन में उमंगों की बिजलियाँ, झिलमिल झिलमिल। कभी खेलते बाग-बगीचे में, कभी झूले की रत्ती, मां की गोदी में गहरी नींद, जैसे हो स्वर्ग की मस्ती।
दादी मां की कहानियाँ, राजा रानी के जंगल, परियों की बातें सुनते सुनते, सो जाते छुपके पल। सूरज की किरणें जब जगाती, नव उमंगें ले आतीं, दादी के हाथों से पका हुआ, पराठा अचार खाते।
पतझड़ की पत्तियों में, ढूंढते हम राज, गर्मी की छुट्टियों में, छुटकू के साथ आवाज। कभी बारिश की छप-छप, कभी बर्फ़ीली ठंड, संग दोस्तों के खेलते, हर मौसम से हम संग।

कागज़ की नाव बनाकर, चल देते नदी की ओर, नाव चलती मस्ती में, दिल करता ना कोई जोर। शाम का सुरमई लम्हा, जब हो जाती बिजली, मां की आवाज़ सुनकर, लौटे हम हंसते हंसते।
पढ़ाई के किताबों में, होती अपनी रंगीन दुनिया, गुरुजी के सबक सुनते, सीखते हर दिन नयी बात। सबके सपनों में बसता, एक दुनिया का संग्राम, बचपन की मीठी बातें, न भूले कभी ये मुस्कान।
जो लड़ाई होती भाई-बहनों में, नहीं रहती अधिक देर, फिर से मिल जाते हम, प्यार का जादू करता घेर। बचपन की ये मधुर यायें, दिल में सदा बसे, कभी ना भूलें बचपन, रहे ये यादों में बसे।
यही थे हमारे सपनों के दिन, ना चिंता ना बोझ, बचपन की रंगीन दुनिया, वो हंसीं यादों का भोज। आज भी इन यादों में, खोने चले हम कहीं, बस यही सोचते हैं, लौट आए वो पल कहीं।
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बचपन की रंगीन दुनिया | Bachpan Ki Rangeen Duniya
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