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राम और शनिदेव की अद्भुत पौराणिक कथा: एक नई दृष्टि से
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब धरती पर असुरों का राज्य था और देवताओं को मनुष्यों की सहायता के लिए अवतार लेना पड़ता था।
उसी समय श्राफ अयोध्या नगरी में राजा दशरथ और महारानी कौशल्या के घर भगवान श्रीराम का जन्म हुआ। राम ने बाल्यकाल से ही अपनी महानता के दर्शन दिए।
जनकपुर की राजकुमारी सीता से विवाह करने के बाद, वे अपने पिता के वचन निभाने के लिए चौदह वर्ष का वनवास भी गए।
वनवास के दौरान, राम, सीता और लक्ष्मण पंचवटी में निवास कर रहे थे। एक दिन हनुमानजी ने उन्हें बताया कि पौर्वाणिक दृष्टांतों के अनुसार, शनिदेव पास के घने जंगल में रह रहे हैं और विशेष पूजा के लिए उन्हें आना होगा।
राम जी ने सोचा कि यह अच्छा अवसर होगा शनिदेव से मिलकर उनके आशीर्वाद लेना।
राम जी, लक्ष्मण और हनुमान साथ में शनिदेव से मिलने पहुंचे। शनिदेव ने राम को देख कर कहा, “हे प्रभु! यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि आप यहां पधारे। आपका स्वागत है।
परन्तु, मैं जानता हूं कि आप मुझसे कुछ पूछने आए हैं।“
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राम ने शनिदेव की ओर आदरपूर्वक नज़र डालकर कहा, “हे शनिदेव! मैं आपके अनुयायियों से सुन चुका हूं कि आपकी दृष्टि का असर मनुष्यों पर बड़े बदलाव ला सकता है।
मैं यह जानना चाहता हूं कि आपके प्रभाव से क्या-क्या परिवर्तन हो सकते हैं और कैसे मनुष्य इससे लाभान्वित हो सकता है।”
शनिदेव मुस्कराए और बोले, “हे राम, मेरी दृष्टि का असर अच्छा भी हो सकता है और बुरा भी। जो व्यक्ति सदाचारी होता है, धर्म का पालन करता है, उसके लिए मेरी दृष्टि गुणात्मक योगदान दे सकती है।
परन्तु जो व्यक्ति अनुचित कर्म करता है, उसके लिए मेरी दृष्टि विनाशकारी हो सकती है। मनुष्य अपनी भूलों से सीखे और सच्चाई को अपनाए, यही मेरा उद्देश्य है।“

राम ने शनिदेव से कहा, “हे शनिदेव, क्या आप हमें यह दिखा सकते हैं कि आपकी दृष्टि का प्रभाव कैसा होता है?”
यह सुनकर शनिदेव सहर्ष तैयार हो गए और उन्होंने एक निगाह राम पर डाली। अचानक ही, राम को बहुत कष्ट महसूस हुआ और उनके शरीर में दर्द होने लगा। वे समझ गए कि शनिदेव की दृष्टि का प्रभाव कैसा होता है।
इस पर, शनिदेव ने आशीर्वाद देते हुए कहा, “हे राम, आपने अपने कष्टों को सहकर भी धैर्य नहीं खोया और सच्चाई का पालन किया।
इसलिए, मैं आपको यह वरदान देता हूं कि आप जो भी संकल्प लेंगे, वह पूरा होगा और जो भी आपके संपर्क में आएगा, उसे लाभ प्राप्त होगा।”
राम ने शनिदेव का आभार प्रकट किया और कहा, “हे शनिदेव, आपने मुझे जीवन की एक महत्वपूर्ण शिक्षा दी है। अब मैं यह जान सकता हूं कि जीवन में सच्चाई और सदाचार का कितना महत्व है।”
राम की यह भावना देखकर लक्ष्मण और हनुमान भी प्रफुल्लित हो गए और शनिदेव से आशीर्वाद लिया। इसके बाद, वे वनवास का समय समाप्त करने के बाद अयोध्या लौट गए और राज्याभिषेक के पश्चात धर्म और न्याय के साथ अपना राज्य किया।
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राम और शनिदेव की अद्भुत पौराणिक कथा: कथा का सार
इस पौराणिक कथा से यह संदेश मिलता है कि सच्चाई और सदाचार का पालन करना जीवन का सर्वोत्तम मार्ग है, और जो व्यक्ति इन्हें अपनाता है, वह शनिदेव के आशीर्वाद से संपन्न हो जाता है।
इस कहानी ने न केवल भारतीय पौराणिक कथाओं के महत्व को उजागर किया है, बल्कि हमें यह भी सिखाया है कि धैर्य और सच्चाई का पालन जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।
यही कारण है कि राम और शनिदेव की यह अद्भुत पौराणिक कथा सदियों से लोगों को प्रेरित और मार्गदर्शन करती आ रही है।
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