Chiki Chidiya ki Samajhdari ki Kahani
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चिड़िया और उसकी समझदारी
एक हरा-भरा जंगल था, जहाँ बहुत सारे जानवर और पक्षी रहते थे। उसी जंगल में एक प्यारी सी चिड़िया भी रहती थी। उसका नाम था ‘चिकी’। चिकी बहुत समझदार और मेहनती थी। हर सुबह वह अपने घोंसले से उड़कर खाना खोजने निकल जाती थी।
एक दिन चिकी ने सोचा, “अब बारिश का मौसम आने वाला है, मुझे अपने घोंसले को और मजबूत करना चाहिए ताकि बारिश से मेरा घर सुरक्षित रहे।” उसने चारों ओर से मजबूत तिनके इकट्ठे करना शुरू कर दिया।

जब चिकी तिनके इकट्ठे कर रही थी, तभी उसकी एक सहेली आई, जिसका नाम था ‘पिंकी’। पिंकी ने हंसते हुए कहा, “अरे चिकी, तुम क्यों इतनी मेहनत कर रही हो? देखो, सूरज कितना चमक रहा है। आओ, हम दोनों मिलकर खेलते हैं।”
लेकिन चिकी ने मुस्कुराते हुए कहा, “पिंकी, यह समय खेलने का नहीं है। मुझे अपने घोंसले को मजबूत करना है। बारिश कभी भी आ सकती है।”
पिंकी ने चिकी की बात को मजाक में लिया और खेलने चली गई। चिकी ने अपनी मेहनत जारी रखी और आखिरकार उसने एक मजबूत घोंसला बना लिया।
कुछ ही दिनों बाद, बारिश शुरू हो गई। जोर-जोर से हवा चलने लगी और बहुत तेज बारिश होने लगी। पिंकी का घोंसला टूट गया और उसे छुपने के लिए जगह नहीं मिली। लेकिन चिकी का घोंसला मजबूत था और वह आराम से उसमें बैठी रही।
पिंकी ने सोचा, “काश! मैंने भी चिकी की तरह मेहनत की होती, तो आज मेरा घोंसला भी सुरक्षित होता।”
इस कहानी से बच्चों को सिखने को मिलता है कि समय रहते मेहनत करना कितना जरूरी है, ताकि मुश्किल समय में हम सुरक्षित रह सकें।
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