हँसी के रंग: बच्चों के लिए एक मजेदार कविता

हँसी के रंग: बच्चों के लिए एक मजेदार कविता | Hindi Kavita For Kids


एक था खरगोश, नाम था उसका मोश, छोटा सा प्यारा, जैसे खिलौना, होश-होश।

मोश भागा जंगल में, करके ढेरों कूद-कूद, हनुमान जैसा, लगे मानो मुँह में गुड़।

बुद्धीमानी की बातों में, जानता था हर कौशल, चतुराई से जीता, जैसे शेर जीतता जंगल।

एक दिन अचानक, मोश को दिखा एक पेड़, पेड़ की शाखों पर, बैठे थे दो-तीन बड़े भेड़।

मोश ने कहा, “हे भेड़ों, खेल हो जाए?” भेड़ बोले, “कब से इंतज़ार था, चलो जारी हो जाए।”

कूदने की होड़ लगी, सबने जोड़ी कमर, खरगोश भी लगा उड़ने को जैसे बाज सिंबल।

पहला कूदा भेड़, गिरा धरती पर धम्म, दूसरा भी दौड़ा, हुआ वही खतम।

मोश ने की छलांग, हवा में हुआ गायब, लगा जैसे कोई जादूगर, सबकी निगाहें ताजब।

भेड़ों ने सीखा, जोश से दिल को जीतना है आसान, दोस्ती की महक में बसी, हँसी-खुशियों का दीवान।

प्यारे बच्चों, इस कविता से सीखो ये बात महाँन, बुद्धी और चतुराई से ही बढ़ाते दिल का मूल्यवान।

मोश खरगोश, भेड़ के दोस्त बने, जैसे दूध-चीनी, साथ खेलते, हँसते, गाते, रहते बड़े ही सुखी।

प्यारे बच्चों, अगर आपको यह कविता पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ ज़रूर शेयर करें। और हमें कमेंट में बताएं कि आपको सबसे मजेदार पंक्ति कौन सी लगी!

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